Aah sad love poem

Aah sad love poem

आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ के सर होने तक
दाम हर मौज में है हल्का-ए-सदकामे-नहंग
देखें क्या गुज़रती है क़तरे पे गुहर होने तक
आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब‌
दिल का क्या रंग करूं खून‍-ए-जिगर होने तक
हमने माना कि तगाफ़ुल न करोगे लेकिन‌
ख़ाक हो जाएँगे हम तुमको ख़बर होने तक
परतवे-खुर से है शबनम को फ़ना की तालीम
मैं भी हूँ एक इनायत की नज़र होने तक
यक-नज़र बेश नहीं, फ़ुर्सते-हस्ती गाफ़िल
गर्मी-ए-बज़्म है इक रक़्स-ए-शरर होने तक
गम-ए-हस्ती का "असद" कैसे हो जुज-मर्ग-इलाज

शमा हर रंग में जलती है सहर होने तक
Aah sad love poem Aah sad love poem Reviewed by Mamta on 11:44 am Rating: 5

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