poem on zindgi Jo Jina Sikha De
poem on zindgi Jo Jina Sikha De
जो आज है, वो कल नहीं होते।
ध्यान रखो इस बात का ज़रूर
कीचड़ में सब कमल नहीं होते।
नफ़ा पहुँचाते हैं जो जिस्म को
मीठे अक्सर वो फल नहीं होते।
जुगाड़ करना पड़ता है हमेशा
रस्ते तो कभी सरल नहीं होते।
दर्द की सर्द हवा से बनते हैं जो
वो ठोस कभी तरल नहीं होते।
नफ़रत की खाद से जो पेड़ पनपते हैं
मीठे उनके कभी फल नहीं होते।
जो आपको आपसे ज्यादा समझे
ऐसे लोग दरअसल नहीं होते।।
poem on zindgi Jo Jina Sikha De
Reviewed by Rita smith
on
5:39 pm
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