Gum Sad love dukhi Poem - broken heart poem
Gum Sad love dukhi Poem - broken heart poem
ग़म इस का कुछ नहीं है कि मैं काम आ गया
ग़म ये है क़ातिलों में तेरा नाम आ गया
जुगनू जले बुझे मेरी पलकों पे सुबह तक
जब भी तेरा ख़याल सर ए शाम आ गया
महसूस कर रहा हूँ मैं ख़ुशबू की बाज़गश्त
शायद तिरे लबों पे मे रा नाम आ गया
कुछ दोस्तों ने पूछा बताओ ग़ज़ल है क्या
बे साख़्ता लबों पे तेरा नाम आ गया
मैं ने तो एक लाश की दी थी ख़बर फ़ज़ल
उल्टा मुझी पे क़त्ल का इल्ज़ाम आ गया
Gum Sad love dukhi Poem - broken heart poem
Reviewed by Mamta
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11:23 am
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