Love Poem Nihage Sharab Hindi love poem उलट के रूख से वो अपने नकाब बैठ गया . तो सर पकड़ के शगुफ्ता गुलाब बैठ गया . हज़ारो मुशकील थी ऐक शेर कैहने में . मिली जो उन से नज़र गज़ल का हिसाब बैठ गया . वोह आ रहे हैं निहागों के जाम झलकेंगे कहां तू सामने लेके शराब बैठ गया .
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